Add To collaction

सबसे अलग है महात्मा गौतम बुद्ध

महात्मा बुद्ध सर्वज्ञ को स्वीकारते हैं पर एक एकत्व को नकारते हैं
ज्ञानी कहते हैं अव्यक्त है उसी के स्पष्टीकरण में बुद्ध कहते हैं अव्यक्त नहीं है।

अगर मनुष्य अपने पूर्ण ध्यान से ज्ञानी और बुद्ध के इस उपदेश की निस्वार्थ निष्पक्ष भाव से तुलना करेगा तो उसे इन दोनों के कथनों में कोई भेद नजर नहीं आएगा

अव्यक्त का भी अर्थ यही है कि नहीं है

वेद कहते हैं ईश्वर और आत्मा अव्यक्त है उसे कोई देख और सोच समझ नहीं सकता।

बुद्ध कहते हैं आत्मा और ईश्वर नहीं है तुम उन्हें देख सोच समझ नहीं सकते।

अव्यक्त शब्द ही ऐसा है जिसे कोई व्यक्त नहीं कर सकता फिर चाहे अव्यक्त हो या अव्यक्त नहीं हो बात एक ही है

लोगों को बुद्ध और वेदों के उपदेशों में जमीन और आसमान का अंतर नजर आता है वेदों को अपुरुषीय  कहा गया है जब बुध अपुरुषीय हुए तो कहां जाता है उन्होंने वेदों का खंडन किया था और उन्होंने समाज को धर्म नहीं एक विचार दिया था विचार अपने अनुभव का

वह विचार जिसका जन्म संदेह से होता है और अंत निश्चय से होता है महात्मा बुद्ध के उपदेशों से प्रतीत होता है कि वह न तो प्रेमी को सुखी कहते थे ना ही धनवान को सुखी कहते थे वह केवल उसे सुखी कहते थे जो निर्भय होता है
इस पर एक बुद्ध का उपदेश है कि मनुष्य के सारे अस्तित्व का सार निर्भय हो जाने में है वही अस्सल मूल्यों में मुक्त है जो निर्भय है

मुझे महात्मा बुद्ध  मनुष्य के विवेक को चुनौती देते नजर आते हैं जिसे स्वीकार करना हर जागरूक मनुष्य का कर्तव्य है मैंने अपने 31 वर्षों के जीवन में पहले कभी बुद्ध को विशेष नहीं माना था और मैं पहले बुद्ध पर कुछ विवादित पोस्ट भी लिख चुका हूं जिसका कई बुद्धिजीवियों ने विरोध किया था पर असल में यह बुद्ध की प्रतिभा ही है जो 2500 वर्ष बाद भी विचार बनकर हम सबके हृदय में मौजूद है।

हम सबको हमारे महात्मा बुद्ध पर गर्व होना चाहिए।

#chetanshrikrishna

   26
18 Comments

Suryansh

08-Sep-2022 10:57 PM

उम्दा

Reply

Sir ये repeat कर दिया क्या

Reply

बेहतरीन

Reply